History of Ram Mandir जनमानस की आस्था और बलिदान का प्रतीक राम मंदिर | Ayodhya Ram Mandir
500 वर्षों के लम्बी प्रतीक्षा, अथक प्रयास, अटूट संकल्प और निरंतर संघर्ष का है यह परिणाम कि आज मर्यादा पुरुषोत्तम राम पुनः लौटेंगे अपने जन्म स्थान के द्वार। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जन मानस की आस्था के सदा से केंद्र बिन्दु रहे हैं, और सारे देश के लिए राष्ट्रीय अस्मिता के प्रतीक चिन्ह के रूप मे पूजित हैं।
Ayodhya Ram Mandir Pran Pratishtha Time
राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या नगरी व भव्य राम मंदिर संपूर्णतः तैयार हो चुका है। आज यानि की 22 जनवरी को प्रभु राम पुनः अपने जन्म स्थान पर विराजमान होंगे। वर्षों से भक्तगण इस दिन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। सनातन धर्म व श्री राम मे आस्था रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए आज का दिन किसी स्वप्न पूर्ति से कम नहीं है। दिनरात काम करने वाले असंख्य स्वयंसेवकों से लेकर, उन सबके पीछे जिन लोगों ने अविचलित दृढ़ता से इस मोर्चे के लिए संघर्ष किया, हर व्यक्ति ने इस यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसलिए आज भारत समन्वय परिवार उन सभी समर्पित लोगों के प्रति अपना आभार प्रकट करता है जिनके त्याग, बलिदान और दृढ़ संकल्प के कारण यह संभव हो पाया है।
राम जन्म भूमि पर राम मंदिर के निर्माण मे किसी न किसी प्रकार से अपना योगदान देने वाले लोगों की सूची अनंत है। ना जाने कितने ही राजनेताओं, आचार्यों, अभिवक्ताओं, और दलों व संगठनों के लोगों ने राम मंदिर निर्माण के लिए निरंतर प्रयास किये हैं। कुछ ऐसे भाग्यशाली हैं, जो आज हम सब के साथ इस अद्वितीय अवसर के साक्षी बनेंगे, भारत समन्वय परिवार उन सभी लोगों को बधाई देता है, परंतु कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने इस संघर्ष मे हिस्सा तो लिया, लेकिन आज प्राण प्रतिष्ठा के पावन क्षणों मे हमारे साथ नहीं हैं। समस्त भारत वर्ष उन सभी लोगों को श्रद्धा सुमन अर्पित करता है। हम सब उन सभी धर्म रक्षकों से सदा प्रेरित होते रहेंगे।
भारत समन्वय परिवार और भारत माता चैनल की ओर से आप सभी को सनातन आस्था के केंद्र अर्थात राम मंदिर निर्माण ( shree ram mandir )और श्री राम लला प्राण प्रतिष्ठा की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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