Shri Ram Janam Katha | श्री राम जन्म कथा | Why Lord Vishnu was born as Rama?
“जब जब होई धरम की हानि, बारहि असुर अधम अभिमानी।
तब तक धर प्रभू विविध शरीरा, हरहि दयानिधि सच्जन पीड़ा।“
The story of the birth of Lord Rama
विष्णु अवतार राम इस धरा पर अधर्म के विनाश और धर्म की स्थापना के उद्देश्य से आए थे। उन्होंने मानवता के कल्याण के लिए सनातन के सर्वोच्चय आदर्शों और मर्यादा को अपने जीवन के माध्यम से चरितार्थ किया। जीवन भर संघर्ष और कष्ट का जीवन जी कर भी वे सदा धर्म का मार्ग आलोकित करते रहे।
Why Lord Vishnu was born as Rama? (विष्णु अवतार राम) | Ram Janam Story
समस्त संसार इस तथ्य से परिचित है की श्री राम ने रावण का वध करने के लिए अवतार लिया था। परंतु नारायण के लिए यह कार्य दुर्लभ नहीं था जिसके लिए वो स्वयं धरती पर आते। ये इतना सरल काम था की उनके अनुज लक्ष्मण जी, पवनपुत्र हनुमंत, अथवा जामवंत जी भी कर सकते थे। परंतु कुछ कार्य ऐसे थे जो इतने महत्वपूर्ण थे की उनके लिए ही श्री राम धरा पर आए थे। माता शबरी की लंबी प्रतीक्षा को सम्पूर्ण रूप से फलित करने के लिए प्रभु श्री राम का आगमन आवश्यक था। सर्वोच्चय सत्ता का समाज के सबसे कमजोर और तिरस्कृत वर्ग तक स्वयं चल कर जाना एक आदर्श की प्रस्तुति एवं आदर्श राम राज्य का संदेश था। श्री राम स्वयं त्रिलोक स्वामी थे, तब भी उनका अवतरण सांसारिक प्रक्रिया द्वारा ही हुआ था।
दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए किया यज्ञ - अश्वमेघ और पुत्रकामेष्ठि यज्ञ | यज्ञ प्रसाद
राजा दशरथ का कोई पुत्र नहीं था, इसलिए पुत्र प्राप्ति हेतु उन्होंने अश्वमेघ और पुत्रकामेष्ठि यज्ञ करने का निर्णय लिया, उस यज्ञ मे राजा दशरथ से अनेक ऋषियों, तपस्वियों, और विद्वानों को आमंत्रित किया। गुरु वशिष्ठ और ऋषि श्रृंगी के नेतृत्व मे यज्ञ आरंभ हुआ। वैदिक मंत्रोच्चार के द्वारा यह महायज्ञ सम्पन्न हुआ। सम्पूर्ण वातावरण वेदों की ऋचाओं के उच्च स्वर मे पाठ से गूंजने तथा सुमिधा की सुगंध से महकने लगा। यज्ञ की समाप्ति के पश्चात समस्त पण्डितों, ब्राह्मणों, ऋषियों आदि को यथोचित धन-धान्य, गौ आदि भेंट दी गई हैं और उन्हें सादर विदा किया गया। महा यज्ञ का प्रसाद राजा ने अपनी तीनों पत्नियों कौशल्या, सुमित्रा, और कैकेयी को दिया। प्रसाद के फलस्वरूप तीनों रानियों ने गर्भधारण किया और इस प्रकार चैत्र माह के शुक्ल नवमी के पावन दिवस पर रघुकुल दीप श्री राम का जन्म हुआ। राम लला का वो बाल रूप इतना आकर्षक था, की उन्हे देखने वाला प्रत्येक व्यक्ति मोहित हो जाता था। यज्ञ प्रसाद के फलस्वरूप राजा दशरथ की दूसरी रानी सुमित्रा ने दो पुत्रों को और तीसरी रानी कैकेयी ने एक पुत्र को जन्म दिया। रघुकुल के सभी राजकुमार अत्यंत प्रतापी और तेजस्वी थे। महाराज ने ब्राह्मणों और याचकों को दान दक्षिणा दी और उन सभी ने महाराज के पुत्रों को आशीर्वाद दिया। प्रजा-जनों को राजा दशरथ ने धन-धान्य और दरबारियों को रत्न, आभूषण भेंट दिए। महर्षि वशिष्ठ ने महाराज के पुत्रों को रामचन्द्र, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न नाम से सुशोभित किया। कहते हैं की श्री राम जन्म के पश्चात गगन से पुष्पों की वर्ष हुई थी, और चारों ओर उल्लास और आस्था का वातावरण था।
श्री राम की गुरुकुल शिक्षा | Shri Ram Ki Shiksha
समय के साथ चारों बड़े होने लगे रामचन्द्र अपने गुणों से प्रजा के बीच बेहद लोकप्रिय हो गए। किशोरावस्था मे ही चारों भाइयों को गुरु वशिष्ठ के आश्रम भेज दिया गया था। जहां पर उनकी शिक्षा दीक्षा पूर्ण हुई। आश्रम मे उन्हे आध्यात्मिक ज्ञान के साथ अस्त्र कौशल भी प्राप्त हुआ। वे अपने माता-पिता और गुरुजनों का बेहद आदर करते थे और उनकी सेवा में लगे रहते थे। उनके तीनों भाई भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न भी उनका अनुसरण करते थे। राजा दशरथ और तीनों माताओं का हृदय अपने चारों पुत्रों को देखकर प्रेम, गर्व, और आनंद से भर उठता था।
Ram Mandir- राम लला की अलौकिक प्राण प्रतिष्ठा
वर्तमान समय मे भी राम लला की महिमा अतुलनीय है। यही कारण है की 500 वर्षों की प्रतीक्षा और संघर्ष के पश्चात 22 जनवरी को होने वाली राम लला की प्राण प्रतिष्ठा( Ram Janmabhoomi Mandir Ayodhya ) के लिए सभी भक्तगण अत्यंत प्रसन्न और उत्साहित हैं। न केवल भारत बल्कि सम्पूर्ण विश्व को इस अलौकिक प्राण प्रतिष्ठा ( Pran Pratishtha ) की प्रतीक्षा है।
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